पूछ रही मन्दाकिनी बौछार
क्यों उग्र हुए उन्मादी केदार?
क्यों गर्जन तर्जन अनन्त शोर?
क्यों ताण्डव नर्तन घनाघोर?
क्यों गाया तूने मृत्यु गान?
क्यों धरा ध्वस्त बनी शमशान?
क्यों तोड़ा गौरा स्नानागार ?
विप्लव जल राशि फैली अपार।
क्यों रक्तिम बना हिमनद संसार
क्यों रुष्ट हुए रुद्रावतार?
रक्त फैला यत्र सर्वत्र
देव भूमि हुयी अभिषप्त।
मृत मानव शव क्षत विक्षप्त
जड़ चेतन समग्र शोक संतप्त।
क्यों काल कलवित हुए हतभागी
साधू सन्त समस्त गृह त्यागी।
बतलाओ ना औघड़ बैरागी
क्यों बनाई देव धरा दागी?
क्यों चोराबारी किया विन्ध्वन्स?
छिन्न भिन्न शिला अन्श अन्श
पल में मन्दाकिनी दम्भ तोड़
क्षण में नदिया दिशा मोड़
रुष्ट कुपित कण खण्ड खण्ड
रामबाड़ा समस्त गौरी कुण्ड
किंचित पापों का मिला दण्ड
क्यों तहस नहस बने प्रचण्ड?
क्यों हुए असहाय क्षेत्रपाल?
क्यों गुन्जित अट्हास महाकाल?
क्यों रक्तिम बना पर्वत कपाल?
पिपासू दग्ध दमन दिग्पाल
अब तुम्हीं बतलाओ महाकाल
अब तुम्हीं बतलाओ महाकाल
- नीरज नैथानी
जन्म : १५ जून
लेखन: कविता,लघू कथा,नाटक,यात्रा सन्स्मरण,व्य्न्ग्य,आलेख आदि।
पुस्तकें: डोन्गी(लघू कथा संग्र्ह)हिमालय पथ पर(पथारोहण सन्स्मरण)विविधा(व्य्न्ग्यसन्ग्र्ह),लंदन से लीस्तर(यात्रा सन्स्मरण),हिम प्रभा(काव्य संग्रह),
पुरस्कार: राष्ट्रपति पुरस्कार,राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, शलेश मटियानी सम्मान, हिंदी भूषन, विद्या वचस्पति, राष्ट्रीय गौरव आदि
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनो में: लंदन,मोरिशस,दुबई ,नेपाल आदि प्रतिभाग
पता : श्रीनगर गड़वाल, भारत
वाह।एक अच्छे प्लेटफॉर्म पर अच्छी कविता के साथ प्रवेश।बधाई।